Saturday 14 October 2017

निष्ठुर प्रबंधन का नहीं पिघला दिल, नहीं दिया मृतक मीडियाकर्मी के परिजनों का पता, अब कौन देगा कंधा...



नई दिल्ली। अपने धरनारत कर्मी की मौत के बाद भी निष्ठुर हिन्दुस्तान प्रबंधन का दिल नहीं पिघला और उसने दिल्ली पुलिस को मृतक रविन्द्र ठाकुर के परिजनों के गांव का पता नहीं दिया। जिससे रविन्द्र को अपनों का कंधा मिलने की उम्मीद धूमिल होती नजर आ रही है।

न्याय के लिए संघर्षरत रविन्द्र के साथियों का आरोप है कि संस्थान के गेट के बाहर ही आंदोलनरत अपने एक कर्मी की मौत से भी प्रबंधन का दिल नहीं पसीजा और उसने प्रेस परिसर में शुक्रवार को आई दिल्ली पुलिस को रविन्द्र के गांव के पते को मुहैया नहीं कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन के पास रविन्द्र का पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध है, उसने जानबूझकर बाराखंभा पुलिस को पता नहीं दिया। उन्होंने बताया कि किसी भी नई भर्ती होने वाले कर्मी का HR पूरा रिकॉर्ड रखता है। उस रिकॉर्ड में कर्मी का स्थायी पता यानि गांव का पता भी सौ प्रतिशत दर्ज किया जाता है। ऐसे में जब रविन्द्र के पिता रंगीला सिंह भी हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार से 1992 में सेवानिवृत्त हुए थे, उनके गांव के पते का ना होने का तर्क बेमानी है। रंगीला सिंह भी इसी संस्थान में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में कार्यरत थे, जबकि रविन्द्र डिस्पैच में।

रविन्द्र के साथियों ने बताया कि वह अपने बारे में किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। बस इतना ही पता है कि वह हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले का रहनेवाला है और उसका घर पंजाब सीमा पर पड़ता है। वह दिल्ली में अपने पिता, भाई-भाभी आदि के साथ 118/1, सराय रोहिल्ला, कच्चा मोतीबाग में रहता था। कई साल पहले उसका परिवार उस मकान को बेचकर कहीं और शिफ्ट हो गया था। रविन्द्र की मौत के बाद जब उनके पड़ोसियों से संपर्क किया तो वे उनके परिजनों के बारे में कुछ भी नहीं बता पाए। उनका कहना था कि वे कहां शिफ्ट हुए उसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है। क्योंकि रविन्द्र के परिजनों ने शिफ्ट होने के बाद से आज तक उनसे कोई संपर्क नहीं किया है। रविन्द्र के संघर्षरत साथियों का कहना है प्रबंधन के असहयोग के चलते कहीं हमारा साथी अंतिम समय में अपने परिजनों के कंधों से महरूम ना हो जाए।

उन्होंने देश के सभी न्यायप्रिय और जागरूक नागरिको से रविन्द्र के परिजनों का पता लगाने के लिए इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर और फारवर्ड करने की अपील की। उनका कहना है कि अखबार कर्मी के दुःखदर्द को कोई भी मीडिया हाउस जगह नहीँ देता, ऐसे में देश की जनता ही उनकी उम्मीद और सहारा है।

यदि किसी को भी रविन्द्र के परिजनों के बारे कुछ भी जानकारी मिले तो उनके इन साथियों को सूचना देने का कष्ट करें...

अखिलेश राय - 9873892581

महेश राय - 9213760508

आरएस नेगी - 9990886337


रविन्द्र से जुड़ी इस खबर को भी पढ़े...

13 साल से न्‍याय की आस में धरना स्‍थल पर बैठे मीडियाकर्मी ने दमतोड़ा  http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/10/13.html?m=1




No comments:

Post a Comment